एशवर्या और सलमान मालवा एक्सप्रेस मे ....
दोस्तों मे लेकर आया हुँ एक और किस्सा रेल का जो मैने आजतक किसी को नहीं सुनाया कभी मौका नहीं मिला हो सकता है लोगों को अजीब लगे इसलिए सुना नहीं पाया।
लेकिन आज याद आ गया वो वाकया तो सोचा आपके समक्ष भी शेयर कर दु।
बात है 2014 कि जब मै 45 दिनों कि उत्तर भारत कि एकल घुम्मकड़ी पर निकला था।
मालवा एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहा था ट्रेन इंदौर से हि चलती थी तो जनरल बोगी मे खिडकी वाली सीट मिल गई और ट्रेन मे खिड़की वाली सीट मिलना भी किसी उपलब्धि से कम नहीं था ।
मैरे बेठने के कुछ देर बाद एक भारी भरकम महिला और उसकी भारी भरकम दो बेटियां और साथ मे दो चार और छोटे मोटे बच्चे आकर मैने सामने वाली सीट और मैरे पड़ोस मे आकर बेठ और उनका चिल्ला चिल्ला के बात करना जो शुरू हुआ कि 2 - 3 घंटे बाद तो मे घबरा गया एक तो मई माह कि वो चिलचिलाती गर्मी और उपर से इतने भारी भरकम लोगों ने घैर रखा और उपर से उनकी चेचे पेपे और जमाने भर कि बातों ने मैरे अंदर के उत्साह को खत्म सा कर दिया था।
मै वहां से उठा अपना बेग उठाया और आगे जाकर दरवाजे के पास खड़ा हो गया आंटी मुझे इंदौर से हि घुरे जा रही थी और मैरे वहां से जाते जाते भी घुरती रही । मै सिधे दरवाजे के पास गया और वहां जाकर सुकून मिला फिर मैने अपनी यात्रा का आनंद लेना शुरू किया....
"लो सेव मिक्चर चना दाल टमाटर केरी डालके भेल खा लो भैल... लो गरमा गरम चाय चाय चाय.. हाँ भेया चाय बोलो चाय...
लो ककड़ी लेलो ताजी ताजी हरी हरी निंबू मसाला डालके ककड़ी"
भारतीय रेल मे इस तरह कि आवाजे आम बात है और मुझे भी देखकर और सुनकर अच्छा लग रहा था...
फिर थोड़ी देर बाद आवाज आई ... ला रे भैय्या ओ चाचा चलो जेब ढिली करो...
हा बेन चल निकाल तो जल्दी से ... ऐ चल रख ले तैरे 2 रुपये तेरे पास और दो मेरे से लेले... मैं डब्बे के इस दरवाजे पर खड़ा था और उस दरवाजे के छोर से ये आवाजें आ रही थी... बेशक आप भी समझ खये होगें मे किसकी बात कर रहा हु।
अक्सर ट्रेन में किन्नर के हंगामा करने की खबरें आती हैं। देखा जाता है कि ट्रेन में किस तरह रुपये मांगने को लेकर किन्नर यात्रियों को परेशान करते हैं। कई बार बदलसूकी पर भी उतर आते हैं। हर रोज ट्रेन में सफर करने वाले लोग किन्नरों के इस तरह के व्यवहार से अच्छी तरह वाकिफ भी होंगे। लेकिन आज आपको मै एक एसी कहानी सुना रहा हुँ जो बिलकुल विपरीत है।
हाँ वो एक किन्नर था या थी...
जो धिरे धिरे पेसे मांगते हुए पास आ रही थी और जिस तरह के उसके कमेंट थे मै वो सुनकर मन हि मन मुस्कुरा रहा था और बाकी लोग भी मजे ले रहे थे।
अब वो मैरे पास आयी और बोली ए सलमान चल साइड हो मै चुपचाप साइड हो गया मुझे लगा अब मुझे भी जेब ढिली करना पड़ेगी ... सही बताऊ तो मैरी 1 रूपया देने कि भी ईच्छा नहीं थी और वो किसी से 10 रुपये से कम नहीं ले रही थी। मै सोच रहा था कि ये बस अब मुझसे पैसे मांगने हि वाली है लेकिन वो दरवाजे के दोनों हेंडल को पकड़ कर अपने मुह को बाहर निकाल कर हवा को महसूस कर रही थी.. उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी उसके बाल हवा मे लहरा रहे थे और मै बस उसे देखा जा रहा था वो मुझसे एक कदम दुरी पर खड़ी थी उसने मुझे देखा कि मै उसे देख रहा हु... एसा दो बार हुआ फिर तिसरी बार मे वो बोल दी ए सलमान क्या देखरा है और मुह से निकल गया आप बहुत खुबसूरत हो....
बस मैरे ये शब्द सुनते हि उसकी सुरत और सिरत कुछ हि पल मे बदल गई उसके चेहरे पर नुर आ गया वो मुस्कुराते हुए और खुबसूरत लगने लगी और वाकई मैने इससे पहले कभी इतने खुबसूरत किन्नर को नहीं देखा था...
उसका हाथ मैरी और बड़ा मुझे लगा कई थप्पड़ न पड़ जाये लेकिन उसने मैरे गाल पर हाथ फेरते हुए मुझे थेंक्यु बोला...
फिर मैने पुछा आपने मुझसे पैसे क्यों नहीं मांगे वो बोली फकीरों जैसी तो हालत हो रही है तैरी क्या मांगु तुझसे..
( हा उसने बिल्कुल सही कहा मैने सफेद कुर्ता निचे जिंस गले मे गमछा कपड़े का साइड बेग और बड़ी बड़ी दाड़ी ..कोई मुझे देखकर फकीर हि बोलेगा।)
मैने भी कहा हाँ मै फकीरों का सलमान खान हुँ 😆 और वो जोर से हाँसने लगी फिर उसने पुछा क्या नाम है मैने कहा लोकेंद्र फिर मैने उससे उसका नाम पुछा वो बोली क्या करेगा जानके मैने कहा अरे एसे हि बता दो तब जाकर उसने कहा गायत्री है मैरा नाम...
उसका नाम सुनकर बहुत अच्छा लगा..
मै: - अरे वाह बहुत अच्छा नाम है आपका आपको गायत्रीमंत्र तो जरूर आता होगा।
गायत्री: जोर से ठहाके लगाकर हासना शुरू किया डब्बे मे हर कोई हम दोनों को हि देख रहे थे ।
आसपास वाले भी हमारी बातों को सुनकर मजे ले रहे थे।
मैं:- आप हासते हुए और अच्छे लगते हो।
गायत्री:- बस कर सलमान इतनी तारीफ मैरी आजतक किसी ने नहीं कि और वो मुस्कुराते हुए वापस बाहर कि और मुह करके हवा का आनंद लेने लगी।
कुछ देख बाद...
गायत्री: कहा जा रहा है तू
मै: दिल्ली
गायत्री : कायको ?
मै: बस घुमने निकला हु
गायत्री : लग तो रहा है घर से भाग के आया है और वापस हासने लगी
अब हम दोनों जोर जोर से हासने लगे..
मै: - आपकी फेवरेट हिरोइन कौन है ?
गायत्री : एशवर्या
मैं : अच्छा तभी सबको सलमान सलमान बोलती हो..
गायत्री: सबको नि बोलती जो अच्छा लगता है उसको सलमान और जो अच्छा नहीं लगता उसको शाहरुख बोल देती हुँ 😆😆😆 और फिर से दोनों से हासना शुरू कर दिया और हमारे साथ आसपास वाले भी हासने लगे।
हमदोनों ने बहुत सारी बातें करी उस अपनी जिंदगी के बारे मे बताया और मुझसे भी बहुत कुछ पुछा 40 मिनट मे हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त कि तरह घुल मिल गये थे.... और फिर वो बोली भोपाल आने वाला है, और यह सुनकर मै थोडा सा मायुस हो गया क्योंकि उसे भोपाल उतरना था । मैने उससे कहा आपसे बात करते बहुत अच्छा लगा एशवर्या ...वो फिर से मुस्कुराते हुए बोली मुझे भी अच्छा लगा सलमान ।
उसने मुझसे पुछा कितने पैसे लेकर निकला है घुमने , मैने कहा 3 हजार और चार सौ रुपये जेब मे है बाकी ATM मै।
उसने चिंता भरी नजरों से कहा अरे 3 हजार मे केसे होगा तैरा रेहना खाना और घुमना ?
फिर मैने उसे बताया कि मै युहीं घुमता हु फकीरों के जैसे मैरा 3 हजार मे आराम से हो जाएगा।
उसने अपने ब्लाउज मे हाथ डाला और जितने एक बार मे उसके हाथ मे पैसे आए वो निकाले और मुझे देने लगी .. उसकी मुठ्ठी मे 10, 20, 50 और 100 के नोट भी दिख रहे थे जोकि इतने फोल्ड थे जैसे किसी ने रद्दी पेपर को मरोड़ कर फोल्ड करके रखा हो।
मैने साफ मना किया कि मै नहीं लेने वाला लेकिन वो मानी नहीं और जबरजस्ती मैरे हाथों मे पकड़़ाते हुए और पुरे अधिकार से डांटते हुए मुझे देने लगी.. तभी पास मे बेठे बुजुर्ग जिसने हमारी बातों के पुरे मजे लिए वो बोले ... अरे बेटा रख ले बहुत शुभ होता है अगर ये पैसे दे तो आशीर्वाद समझ के लेले।
जहाँ मै 10 रु भी उसको नहीं देना चाहता था वहां उसने मुझे 220 रुपये दिये और कहा इन पैसों से कुछ खा लेना मैरी तरफ से।
मैरी आखो से आसु आते उससे पहले भोपाल स्टेशन आ गया और वो उतर गयी उतरते से हि एक ठेलागाड़ी से एक बिस्किट का पैकेट उठाया और मुझे लाकर दे दिया ठेले वाला कुइ बोला नहीं बस वो भी मुह देखता रहा...
और गायत्री बस अब प्लेटफार्म पर चलने लगी और मै उसे देखता रहा...
सलमान अब कुछ देख के लिए शाहरुख बन गयाऔर बोला
पलट...पलट....पलट....पलट....
लेकिन एशवर्या नहीं पलटी फिर मैने जोर से आवाज लगाई ...एशवर्याआआआआआआ......।।
और उसने पलट कर देखा और दुर से हि हाथ लहराते हुए मुझे बाय बाय किया..। मै उस पल बहुत भावुक हो गया था मैरे दिल मे उसके लिए बहुत ईज्जत और प्यार बड़ गया था।
गायत्री ने मेरा किन्नरों के प्रति नजरिया बदल दिया अब मुझे जब भी किन्नर दिखते है ट्रेन मे मैं हमेशा सबसे पहले पैसे निकाल कर तैयार कर लेता हुँ।
गायत्री का वो मर्दाना हाथ मैने गालों पर पहली बार फेरना मुझे अजीब सा लगा लेकिन जाते वक्त एक बार और उसका स्पर्श बहुत सुकून भरा था।
इस कहानी को लिखते वक्त भी मैरे गायत्री को याद किया उससे दोबारा मिलने कि कोशिश करी लेकिन वो मुझे दौबारा कभी उस रूट कि ट्रेन मे नहीं दिखी।
इस कहानी के साथ मै बस यही कहना चाहुँगा कि
दोस्तों प्यार दो..प्यार लो...
खुशियां और प्यार बांटते चलो...
और घुम्मकड़ी करते रहो 😇
धन्यवाद
आपका दोस्त : लोकेंद्र
आपके सब्र और कहानी पुरी पड़ने के लिए आपका धन्यवाद 🙏
Note : फोटो गुगल से आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए लिया है।
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