It's Just about I, Me & My Self

Thursday, March 4, 2021

सब्जी पुड़ी कि वजह से ट्रेन छुटना

मैरी पिछली पोस्ट " एशवर्या और सलमान मालवा एक्सप्रेस मे"

पर आपका सभी का बहुत प्यार मिला उसके लिए मै आपका बहुत बहुत आभारी हुँ। धन्यवाद

इस बार फिर ट्रेन का एक छोटा सा किस्सा सुना रहा हुँ इसे महसूस किजिए आशा है आपको पड़ने मे अच्छा लगेगा।



तो दोस्तों बात है 2008 कि जब मै और मैरा दोस्त जयपुर घुमने निकले वैसे घुमना तो एक बहाना था दोस्त को कुछ काम था तो वो मुझे साथ ले गया। घर वाले मैरे घुमने को लेकर बड़े परेशान थे लेकिन मै हर किसी न किसी बहाने से निकल हि जाता था।

तो हम दोनों 3 दिनों तक जयपुर घुमे और अब  घर वापसी कि तैयारी थी सही बताऊ तो मैरी घर जाने कि इच्छा नहीं थी । 

उन दिनों आनलाइन समय पता करने का कोई साधन नहीं था फिर न्यूज पेपर कि कटिंग जो कि एक भोजनालय पर थी उसमें समय देखा तो ट्रेन शाम के 5 बजे थी 4:30 पर समय देखा और सिधे ताबड़तोड़ स्टेशन पहुंचे 15 मिनट मे स्टेशन पहुचे भूक अलग सता रही थी लेकिन खाना खाने का समय नहीं मिला स्टेशन पहुचते हि टिकट कि लाइन मे लगे फिर वहां भी 10 मिनट लग गए उतने मे ट्रेन आ गयी लेकिन 2008 मे जयपुर मे बम ब्लास्ट हुआ था  और उसके एक महिने बाद यानी जुन कि भयंकर वाली गर्मी मे हम वहां गये थे । बम ब्लास्ट कि वजह से वहां पुलिस कि कड़ी चेकिंग चल रही थी दोनों एक दुसरे का मुह देखते हुए बस यही सोच रहे थे है भगवान ट्रेन न निकल जाए लेकिन मेरा दोस्त तो ये भी सोच रहा था कि कहीं ये पुलिस वाले अपने को पकड़ कर पुछताछ करने लगे तो ? और वो लाइन से निकल कर बाहर पुलिस वालो को बार बार देख रहा था 😆 तब वहां एक अंकल ने बोला बेटा ट्रेन 20 मिनट रुखेगी ज्यादा जल्दी मत करो अंकल कि बात सुनकर दिल को तसल्ली मिली चेकिंग होने के बाद जैसे तैसे ट्रेन मे जाकर बेठे लेकिन भुक से बुरा हाल था दोस्त बोला भाई तु कुछ खाने को ले आ कुछ खा लेते है। भुक के मारे उसकी शक्ल मुर्झाए हुए गोबी के फुल जेसी हो गई थी।

बैचारे पर तरस खाके मै भी निचे उतर कर निकल गया कुछ लेने हमारी ट्रेन प्लेटफार्म नं 4 पर थी और खाने का सामान प्लेटफार्म नं 1, 2 पर था ... फिर मै प्लेटफार्म नं 1 पर पहुंचा वहाँ गरमागरम पुड़िया तल रही थी मैने 40 रू कि पुड़ी जिसके साथ दो दौना भरकर सब्जी हरी मिर्च और प्याज फ्रि थी (उन दिलो भुक लगने पर सफर मे हम खाना खाते थे चिप्स कुरकुरे नहीं)

 मैरा तो पेकिंग करवाते करवाते हि मुह मे पानी आ रहा था उतनी दैर मे ट्रेन ने अपनी सिटी बजा दि और यहां मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयीं मै ब्रिज कि और भागा प्लेटफार्म नं 1 से 4 तक पहुचते पहुचते ट्रेन ने प्लेटफार्म छोड़ दिया मै जोर जोर से चिल्ला रहा था कोई चेन खिच दो और ट्रेन कि पिछे हाथ मे सब्जी पुड़ी कि थेली लेकर दोड़ रहा था और बस दिलवाने दुल्हनिया ले जाएंगे वाला सिन याद कर रहा था और सोच रहा काश कोई मुझे हाथ दे और अन्दर खिच ले लेकिन एसा हो न सका (यह एक अंधविश्वास है जो कि फिल्मों मे होता है)

 और ट्रेन छुट गई मे जुन कि भयंकर गर्मी (वो भी राजस्थान की) मे पसीने मे लथपत लथपथ ट्रेन को देखता रह गया और ट्रेन मे दोस्त मैरे वियोग मै जोर जोर से रोता रहा लेकिन चेन खिचने कि हिम्मत नहीं कर सका (एक नंबर का रोतलु और डरपोक है)

ट्रेन के जाने के बाद पांच मिनट तक देखता रहा फिर पेट से आवाज आई कि ....भाई जुदाई का गम छोड़ और जल्दी से पार्सल खोल फिर जल्दी से मै प्लेटफार्म पर बेठकर सब्जी पुड़ी खाई और दोस्त के नाम से बची पुडिया कुत्ते को खिलाई 😆 

उसके बाद इन्क्वायरी पर अगली ट्रेन का पुछने गया लेकिन अगली ट्रेन रात को 12 भजे थी अब तो दिमाग के घोड़े द़ौड रहे थे कि अब करना क्या है।

 और बार बार यही खयाल आ रहा था कि काश प्लेटफार्म नं 4 से वो ठंडे भजीये हि खा लेता तो ज्यादा अच्छा होता 😆

सबसे बुरा दोस्त के साथ हुआ टिकट भी मैरे पास और खाना भी यहां तक कि पैसे भी उसकी जेब मे मात्र 50 रुपये थे।

(800 रूपये लेकर जयपुर आये थे 100 मैरे पास बचे थे और 50 उसके पास)

कुछ भी हो भारतीय रेलवे कि बात हि अलग है हर यात्रा मजेदार और आनंददायक होती है।

हर यात्रा मे कुछ रोमांचक होता है....


Note: picture google se लिया है क्योंकि 2008 मे तो हमारे पास मोबाइल भी नहीं हुआ करता था 😆

Share:

ट्रेन कि चेन खिचने कि हार्दिक ईच्छा

 दोस्तों आप लोगों का मैरी कहानियों पर जो प्यार मिल रहा है उससे मुझे और लिखने कि प्रेरणा मिल रही...

2 किस्से तो आपने पड़ लिए थे आज लेकर आया हु फिर से एक और ट्रेन का किस्सा.....

"ट्रेन कि चेन खिचने कि हार्दिक ईच्छा" 😉


बात है 2015 कि मै जबलपुर से खंडवा जा रहा था..

ट्रेन मे खचाखच भीड़ कोई इधर से चिल्ला रहा है तो कोई उधर से बच्चों का रोना और औरतों कि चेचे पेपे लगी हुई है । लेकिन अपने को क्या मै तो मस्तमलंग होकर बाहर के मौसम का मज़ा ले रहा था .. ठंडी ठंडी हवाएं और बारिश ने मौसम का मिजाज हि बदल दिया है।

मिट्टी की सोंधी सोधीं खुशबू को भेल वाले के पता नहीं कब के कटे हुए प्याज कि बदबु खराब कर रही थी.. फिर भी महाशय लगे हुए थे अपनी भेल कि तारीफ मे ...

 लो सेव मिक्चर चना दाल टमाटर प्याज डालके भेल खा लो भैल... शानदार भेल है भेय्या पसंद नहीं आये तो पैसे वापस....

इन सब के बीच मै अब अपनी जगह से उठकर दरवाजे कि और गया मौसम का हाल देखने लेकिन पास वाले  अंकल को बोलकर गया आ रहा हुँ पैशाब करके...

चलो पहले अंकल के बारे मे बता देता हु अकंल दो आंटियो के बीच फसे हुए थे और वो मैरी जगह मतलब सीट के कार्नर मे आने का बोल चुके थे पर मैने आनाकानी कि और अपनी जगह नहीं बदली... और चल पड़ा दरवाजे कि और कुछ दैर बाद जोर जोर से चिल्लाने कि आवाज आयी अरे चेन खिचो चेन मैरा बेग गीर गया निचे..।।

मैने सोचा मौका भी अच्छा है और दस्तुर भी बचपन से ट्रेन कि चेन खिचने कि बड़ी  इच्छा थी और वो उस दिन पुरी हो गयीं मै दोड़कर किसी सुपर हिरो कि तरह गया चेन के पास और खींच दी लेकिन चेन खीचने मै बहुत ताकत लगती है यह पता लग गया 😀 और अब ट्रेन धिरे धिरे रुकने लगी ।

जहाँ से बेग गीरा था उस जगह से ट्रेन करीब 3, 4 किलोमीटर आगे आ चुकी थी फिर पुलिस कि सीटी कि आवाज आयी और मैं जल्दी से दोड़कर अपनी जगह आया .। पुलिसकर्मी हमारी बोगी मे चड़े और चिल्लाने लगे किसने खिंची चेन बेग वाले का तो पता नहीं आवाज तक नहीं आ रही थी उसकी पिछे से लेकिन अब पुलिस वाले धिरे आगे कि और आ रहे थे।।

और मैरे दिल कि धड़कने मिल्खा सींग से भी तेज भाग रही थी। फिर याद आये अकंल ..।

अकंल आ जाइये आप बेठ जाइये यहाँ अकंल भी सोच मे पड़ गए कि इतनी सी दैर मे इसका ह्रदय परीवर्तन कैसे हो गया।

अब अंकल भी इतराते और अकड़ दिखाने लग गए...

नहीं बेठना है मुझे 😏

कुछ हि सेकंड मे अंकल को मनाया और जेसे हि जगह चेंज करी पुलिस वाले आ चुके थे और उन्हें देखते हि मै भी आखे बंद करके सोने का बहाना करन लगा जैसे हि पुलिस वाले आगे निकले अंकल धिरे से बोले आँखें खोल लो पुलिस गई 😂

जैसे उन्हें सबकुछ पता लग चुका था।

फिर मैने कहा निडर होके तो..... पुलिस वालों से मैरा क्या लेना देना 🤔

अंकल : - बेटा जितनी आपकी उम्र नहीं हुई उससे ज्यादा समय से मै ट्रेन मे अपडाउन कर रहा हुँ।

कहो तो बुलाउ पुलिस को (होठो को दबाकर होठों टे कोने से हसते हुए शैतानों वाली हँसी , समज नहीं आया तो आइने मे ट्राय करके देख लो पहले )

मै:- अरे अंकल जी ठीक है ना क्यों इतना सोच रहे सोरी बोल रहा हु ना आपसे जो मैने आपको अपनी जगह देने से मना किया था 🤗

फिर अंकल जी से धिरे धिरे अच्छी बातें होने लगी वो रोज शाम को उसी ट्रेन से आफिस से घर आते थे सरकारी नौकरी मे थे अंकल।

इन सब बातों मे मैरा ध्यान सामने बेठी खुबसूरत बालिका पर तो गया हि नहीं था 😀 मैं उसे देखने लगा फिर अंकल जी ने धिरे से कानो मे फुसफुसाया ...

अंकल:- बेटा क्या देख रहे हो

मैं :- अंकल आप तो इतने सालों से अपडाउन कर रहे हो आपको तो पता हि होगा (टोंट मारते हुए)

अंकल :- देखने से लड़की नहीं पटेगी बात भी तो करो 

मै:- अंकल पटानी किसको है यहाँ तो बस आँखों को सुकून मिल रहा है इसलिए देख रहा हुँ।

अंकल : बेटा सुबह गाजर का रस पियो और हरी घास पर चलो आंखों को इससे ज्यादा सुकून मिलेगा और आँखों कि रोशनी भी बड़ेगी (और अब हम दोनों कानाफूसी करके बातें कर रहे थे और हाँस रहे थे)

सामने वाली लड़की और आसपास वाली आंटिया हम दोनों को देखकर मुह बना रही थी लेकिन हमें क्या हम तो अपनी मस्ती मे मस्त मजे ले रहे थे।

फिर अंकल ने जबरदस्ती मुझे कचोरी खीलाई चाय पिलाई और फिर इटारसी कब आ गया पता हि नहीं लगा हम दोनों ने एक दुसरे को अलविदा कहा और वो उतर गये।

रात हो चुकी थी और मैरा भी स्टेशन आ चुका लोग फर्श पर हि सो रहे थे मुझे उतरना था लेकिन कोई उठने को तैयार नहीं और उपर से तरह तरह के खर्राटो कि आवाजें और बस इन खर्राटो कि आवाज को सुनते सुनते और लोगों के निंद मे गालियाँ सुनते हुए यात्रा पुरी हुई। (वो इस लिए कि उतरते समय किसी के हाथ पर पेर तो किसी के पैर पर पेर रखते रखते बाहर तक आया गाली देने वाले कि शक्ल देख लेता तो गले पर भी पैर रख देता 😂) 

और बस इसी तरह एक और यात्रा बहुत शानदार और यादगार रही कब सफर गुजर गया पता नहीं लगा।

और बचपन से घंटों ट्रेन मे चेन को घुर घुर कर देखते रहना और सोचना कि चेन खिचने के बाद ट्रेन कितनी देर मे रुख जाती है। और इस तरह ट्रेन कि चेन खिंचने कि हार्दिक ईच्छा भी पुरी हो गयी खुश इतना था जैसे कोई बहुत बड़ा तीर मार लिया हो ,😀😀

.............


 पिक्चर अभी बाकी है मैरे दोस्त........।।।

....

कुछ दिनों बाद घर पर मै न्यूज देख रहा था जिसमे बता रहे थे कि जनता एक्सप्रेस और कामायनी एक्सप्रेस का बहुत बुरी टक्कर हो चुकी है। और लगभग हर न्यू चेनल पर यही न्यूज चल रही थी।

यह सुनते हि बस मुझे अंकल जी कि याद आ गयीं यात्रा मे साथ भले हि पलभर का था लेकिन चिंता एसी सता रही थी कि मानो बहुत पुरानी पहचान हो।

बस ईश्वर से हाथ जोड़कर मै उस समय बह यही प्रार्थना कर रहा था कि अंकल स्वस्थ हो और मस्त हो।

हालांकि न्यूज मे थोडी देर बाद पता लगा कि ट्रेन का एक्सीडेंट हरदा के पास हुआ ओर अकंल जी तो इटारसी तक हि यात्रा करते है।

दोस्तो जिवन बहुत खुबसूरत है और छोटा भी सबसे खुश होकर मिल लिया करो बात कर लिया करो ।

हर कोई अपने जिवन कि छोटी मोटी समस्याओं से पिड़ित है ।

हो सकता है आपके सिर्फ हँसकर बात करने से हि उनकी परेशानिया थोड़ी कम लगने लगे।

प्यार बांटते चलो ❤️ 

धन्यवाद

आपका साथी 

लोकेंद्र

 

Share:

Monday, March 1, 2021

एशवर्या और सलमान मालवा एक्सप्रेस मे

 एशवर्या और सलमान मालवा एक्सप्रेस मे ....



दोस्तों मे लेकर आया हुँ एक और किस्सा रेल का जो मैने आजतक किसी को नहीं सुनाया कभी मौका नहीं मिला हो सकता है लोगों को अजीब लगे इसलिए सुना नहीं पाया।

लेकिन आज याद आ गया वो वाकया तो सोचा आपके समक्ष भी शेयर कर दु।

बात है 2014 कि जब मै 45 दिनों कि उत्तर भारत कि एकल घुम्मकड़ी पर निकला था।

मालवा एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहा था ट्रेन इंदौर से हि चलती थी तो जनरल बोगी मे खिडकी वाली सीट मिल गई और ट्रेन मे खिड़की वाली सीट मिलना भी किसी उपलब्धि से कम नहीं था ।

मैरे बेठने के कुछ देर बाद एक भारी भरकम महिला और उसकी भारी भरकम दो बेटियां और साथ मे दो चार और छोटे मोटे बच्चे आकर मैने सामने वाली सीट और मैरे पड़ोस मे आकर बेठ और उनका चिल्ला चिल्ला के बात करना जो शुरू हुआ कि 2 - 3 घंटे बाद तो मे घबरा गया एक तो मई माह कि वो चिलचिलाती गर्मी और उपर से इतने भारी भरकम लोगों ने घैर रखा और उपर से उनकी चेचे पेपे और जमाने भर कि बातों ने मैरे अंदर के उत्साह को खत्म सा कर दिया था।

मै वहां से उठा अपना बेग उठाया और आगे जाकर दरवाजे के पास खड़ा हो गया आंटी मुझे इंदौर से हि घुरे जा रही थी और मैरे वहां से जाते जाते भी घुरती रही । मै सिधे दरवाजे के पास गया और वहां जाकर सुकून मिला फिर मैने अपनी यात्रा का आनंद लेना शुरू किया....

"लो सेव मिक्चर चना दाल टमाटर केरी डालके भेल खा लो भैल... लो गरमा गरम चाय चाय चाय.. हाँ भेया चाय बोलो चाय...

लो ककड़ी लेलो ताजी ताजी हरी हरी निंबू मसाला डालके ककड़ी" 

भारतीय रेल मे इस तरह कि आवाजे आम बात है और मुझे भी देखकर और सुनकर अच्छा लग रहा था...

फिर थोड़ी देर बाद आवाज आई ... ला रे भैय्या ओ चाचा चलो जेब ढिली करो...

हा बेन चल निकाल तो जल्दी से ... ऐ चल रख ले तैरे 2 रुपये तेरे पास और दो मेरे से लेले... मैं डब्बे के इस दरवाजे पर खड़ा था और उस दरवाजे के छोर से ये आवाजें आ रही थी... बेशक आप भी समझ खये होगें मे किसकी बात कर रहा हु।


अक्सर ट्रेन में किन्नर के हंगामा करने की खबरें आती हैं। देखा जाता है कि ट्रेन में किस तरह रुपये मांगने को लेकर किन्नर यात्रियों को परेशान करते हैं। कई बार बदलसूकी पर भी उतर आते हैं। हर रोज ट्रेन में सफर करने वाले लोग किन्नरों के इस तरह के व्यवहार से अच्छी तरह वाकिफ भी होंगे। लेकिन आज आपको मै एक एसी कहानी सुना रहा हुँ जो बिलकुल विपरीत है।

हाँ वो एक किन्नर था या थी... 

जो धिरे धिरे पेसे मांगते हुए पास आ रही थी और जिस तरह के उसके कमेंट थे मै वो सुनकर मन हि मन मुस्कुरा रहा था और बाकी लोग भी मजे ले रहे थे।

अब वो मैरे पास आयी और बोली ए सलमान चल साइड हो मै चुपचाप साइड हो गया मुझे लगा अब मुझे भी जेब ढिली करना पड़ेगी ... सही बताऊ तो मैरी 1 रूपया देने कि भी ईच्छा नहीं थी और वो किसी से 10 रुपये से कम नहीं ले रही थी। मै सोच रहा था कि ये बस अब मुझसे पैसे मांगने हि वाली है लेकिन वो दरवाजे के दोनों हेंडल को पकड़ कर अपने मुह को बाहर निकाल कर हवा को महसूस कर रही थी.. उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी उसके बाल हवा मे लहरा रहे थे और मै बस उसे देखा जा रहा था वो मुझसे एक कदम दुरी पर खड़ी थी उसने मुझे देखा कि मै उसे देख रहा हु... एसा दो बार हुआ फिर तिसरी बार मे वो बोल दी ए सलमान क्या देखरा है और मुह से निकल गया आप बहुत खुबसूरत हो....

बस मैरे ये शब्द सुनते हि उसकी सुरत और सिरत कुछ हि पल मे बदल गई उसके चेहरे पर नुर आ गया वो मुस्कुराते हुए और खुबसूरत लगने लगी और वाकई मैने इससे पहले कभी इतने खुबसूरत किन्नर को नहीं देखा था...

उसका हाथ मैरी और बड़ा मुझे लगा कई थप्पड़ न पड़ जाये लेकिन उसने मैरे गाल पर हाथ फेरते हुए मुझे थेंक्यु बोला...

फिर मैने पुछा आपने मुझसे पैसे क्यों नहीं मांगे वो बोली फकीरों जैसी तो हालत हो रही है तैरी क्या मांगु तुझसे..

( हा उसने बिल्कुल सही कहा मैने सफेद कुर्ता निचे जिंस गले मे गमछा कपड़े का साइड बेग और बड़ी बड़ी दाड़ी ..कोई मुझे देखकर फकीर हि बोलेगा।)

मैने भी कहा हाँ मै फकीरों का सलमान खान हुँ 😆 और वो जोर से हाँसने लगी फिर उसने पुछा क्या नाम है मैने कहा लोकेंद्र फिर मैने उससे उसका नाम पुछा वो बोली क्या करेगा जानके मैने कहा अरे एसे हि बता दो तब जाकर उसने कहा गायत्री है मैरा नाम...

उसका नाम सुनकर बहुत अच्छा लगा..

मै: - अरे वाह बहुत अच्छा नाम है आपका आपको गायत्रीमंत्र तो जरूर आता होगा।

गायत्री: जोर से ठहाके लगाकर हासना शुरू किया डब्बे मे हर कोई हम दोनों को हि देख रहे थे ।

आसपास वाले भी हमारी बातों को सुनकर मजे ले रहे थे।

मैं:- आप हासते हुए और अच्छे लगते हो।

गायत्री:- बस कर सलमान इतनी तारीफ मैरी आजतक किसी ने नहीं कि और वो मुस्कुराते हुए वापस बाहर कि और मुह करके हवा का आनंद लेने लगी।

कुछ देख बाद...

गायत्री: कहा जा रहा है तू

मै: दिल्ली

गायत्री : कायको ?

मै: बस घुमने निकला हु

गायत्री : लग तो रहा है घर से भाग के आया है और वापस हासने लगी 

अब हम दोनों जोर जोर से हासने लगे..

मै: - आपकी फेवरेट हिरोइन कौन है ?

गायत्री : एशवर्या 

मैं : अच्छा तभी सबको सलमान सलमान बोलती हो..

गायत्री: सबको नि बोलती जो अच्छा लगता है उसको सलमान और जो अच्छा नहीं लगता उसको शाहरुख बोल देती हुँ 😆😆😆 और फिर से दोनों से हासना शुरू कर दिया और हमारे साथ आसपास वाले भी हासने लगे।

हमदोनों ने बहुत सारी बातें करी उस अपनी जिंदगी के बारे मे बताया और मुझसे भी बहुत कुछ पुछा 40 मिनट मे हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त कि तरह घुल मिल गये थे.... और फिर वो बोली भोपाल आने वाला है, और यह सुनकर मै थोडा सा मायुस हो गया क्योंकि उसे भोपाल उतरना था । मैने उससे कहा आपसे बात करते बहुत अच्छा लगा एशवर्या ...वो फिर से मुस्कुराते हुए बोली मुझे भी अच्छा लगा सलमान ।

उसने मुझसे पुछा कितने पैसे लेकर निकला है घुमने , मैने कहा 3 हजार और चार सौ रुपये जेब मे है बाकी ATM मै।

उसने चिंता भरी नजरों से कहा अरे 3 हजार मे केसे होगा तैरा रेहना खाना और घुमना ?

फिर मैने उसे बताया कि मै युहीं घुमता हु फकीरों के जैसे मैरा 3 हजार मे आराम से हो जाएगा।

उसने अपने ब्लाउज मे हाथ डाला और जितने एक बार मे उसके हाथ मे पैसे आए वो निकाले और मुझे देने लगी .. उसकी मुठ्ठी मे 10, 20, 50 और 100 के नोट भी दिख रहे थे जोकि इतने फोल्ड थे जैसे किसी ने रद्दी पेपर को मरोड़ कर फोल्ड करके रखा हो।

मैने साफ मना किया कि मै नहीं लेने वाला लेकिन वो मानी नहीं और जबरजस्ती मैरे हाथों मे पकड़़ाते हुए और पुरे अधिकार से डांटते हुए मुझे देने लगी.. तभी पास मे बेठे बुजुर्ग जिसने हमारी बातों के पुरे मजे लिए वो बोले ... अरे बेटा रख ले बहुत शुभ होता है अगर ये पैसे दे तो आशीर्वाद समझ के लेले। 

जहाँ मै 10 रु भी उसको नहीं देना चाहता था वहां उसने मुझे 220 रुपये दिये और कहा इन पैसों से कुछ खा लेना मैरी तरफ से।

मैरी आखो से आसु आते उससे पहले भोपाल स्टेशन आ गया और वो उतर गयी उतरते से हि एक ठेलागाड़ी से एक बिस्किट का पैकेट उठाया और मुझे लाकर दे दिया ठेले वाला कुइ बोला नहीं बस वो भी मुह देखता रहा...

और गायत्री बस अब प्लेटफार्म पर चलने लगी और मै उसे देखता रहा...

सलमान अब कुछ देख के लिए शाहरुख बन गयाऔर बोला 

पलट...पलट....पलट....पलट....

लेकिन एशवर्या नहीं पलटी फिर मैने जोर से आवाज लगाई ...एशवर्याआआआआआआ......।।

और उसने पलट कर देखा और दुर से हि हाथ लहराते हुए मुझे बाय बाय किया..। मै उस पल बहुत भावुक हो गया था मैरे दिल मे उसके लिए बहुत ईज्जत और प्यार बड़ गया था।

गायत्री ने मेरा किन्नरों के प्रति नजरिया बदल दिया अब मुझे जब भी किन्नर दिखते है ट्रेन मे मैं हमेशा सबसे पहले पैसे निकाल कर तैयार कर लेता हुँ।

गायत्री का वो मर्दाना हाथ मैने गालों पर पहली बार फेरना मुझे अजीब सा लगा लेकिन जाते वक्त एक बार और उसका स्पर्श बहुत सुकून भरा था।

इस कहानी को लिखते वक्त भी मैरे गायत्री को याद किया उससे दोबारा मिलने कि कोशिश करी लेकिन वो मुझे दौबारा कभी उस रूट कि ट्रेन मे नहीं दिखी।

इस कहानी के साथ मै बस यही कहना चाहुँगा  कि

दोस्तों  प्यार दो..प्यार लो...

खुशियां और प्यार बांटते चलो...

और घुम्मकड़ी करते रहो 😇

धन्यवाद 

आपका दोस्त : लोकेंद्र 


आपके सब्र और कहानी पुरी पड़ने के लिए आपका धन्यवाद 🙏


Note : फोटो गुगल से आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए लिया है।

Share:
Scroll To Top