छागल -किस किस ने पिया इसका पानी ??
ये मोटे कैनवास से बना हुआ एक तरफ खुले मुंह वाला बैग है. इसे स्थानीय मारवाड़ी में दिवड़ी या मसक कहते हैं. इसका एक मालवी नाम छागल भी है। इसमें पानी भर के इसे कहीं भी खुली जगह पर छाया में टांग दिया जाता था। अंदर भरे पानी से इसमे नमी बनी रहती और बाहर चलने वाली गर्म लू से इसे ठंडक मिलती है। इस कारण इसके अंदर भरा पानी बहुत ठंडा रहता था।
10 -20 साल पहले तक यात्रा के समान में इसका खास महत्व हुआ करता था। इसे ट्रेन की खिड़की में बाहर की तरफ टांग दिया जाता था ताकि हवा से पानी शीतल बना रहे। ट्रक चालक इसे हमेशा अपने साथ रखते थे। सामान्यतः ये दिवड़ी ट्रक के आगे कार्बोरेटर पर टांगी जाती थी जो कार्बोरेटर को ठंडा करने का दोहरा काम भी करती थी।
मेरे पास भी एक है जिसे में कैंपिंग में स्तेमाल करता हुं।
क्या आपने इसके पानी का कभी स्वाद लिया ?।