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Tuesday, April 16, 2024

ग्वालियर में घुमने फिरने वाले स्थान

ग्वालियर शहर में घूमने लायक जगह :


लधेड़ी गेट
तानसेन का मक़बरा 
सूर्य मंदिर 
सरोद घर ( संगीत संघ्रालय )
इटालियन गार्डन 
कोटेश्वर महादेव मंदिर ( किले के समीप )
गुजरी महल 
ग्वालियर का किला ( किले पर स्थित सभी महल, मंदिर एवं गुरुद्वारा देखने लायक है )
ग्वालियर किले की प्राचीर में स्थित जैन मंदिर 
ग्वालियर किले की प्राचीर में स्थित पत्थर की बावड़ी ( फूलबाग की तरफ )
ग्वालियर किले पर होने वाला लाइट & साउंड शो, इसे देखना न भूलें। 
सिंधिया पैलेस 
मांडरे की माता मंदिर 
रानी लक्ष्मी बाई समाधि स्थल, फूलबाग
चिड़ियाघर 

शहर से थोड़ा बाहर:
वैष्णो देवी मंदिर & समीप वाली पहाड़ पर स्थित मंदिर ( झाँसी रोड पर स्थित )
शीतला देवी मंदिर, सातउ ग्राम 

बरसात के मौसम में जाने लायक जगह :
तिघरा डैम
देवखो
बधावना झरना
सर्दी विशेष:
जनवरी से फरवरी के महीने में ग्वालियर में उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला लगता है जिसमें आपको सुई से लेकर करोड़ तक की गाड़ी मिल जाएगी। इस मेले में 20 से ज्यादा तरह के झूले, मौत का कुआँ, पूरे देशभर से शिल्पकार, और दुनिया जहान के खाने पीने के आइटम मिल जाएंगे। ये इतने बड़े एरिया में लगता है की एक दिन में पूरा देख पाना मुश्किल होता है। 

खाने पीने के स्थान:
फूलबाग स्थित चौपाटी, यहाँ आपको एक ही स्थान पर हर तरह का भोजन मिल जाएगा। यहाँ पर सर्दी के मौसम में कॉफी और गर्मी में फालूदा आइस क्रीम टेस्ट करना न भूलें। 
चिड़ियाघर के पीछे स्थिति मार्किट में चाप की दुकानों पर चाप ट्राई कर सकते हैं। 
बाकि पोहा, बेडइ, समोसा जलेबी आदि के लिए यूँ तो तमाम फेमस दुकानें हैं पर आपको जहाँ भी ये आइटम दिखाई दें आप वहीं पर इन्हें निसंकोच खाएं  आपको निराशा नहीं होगी। 
नोट: मसाला पेटीज ट्राई करना न भूलें। फूलबाग वाले एरिया में ये सभी दुकान पर अच्छी मिलती है। 

ग्वालियर शहर के आसपास घूमने लायक जगह:

नलकेश्वर महादेव मंदिर एवं झरना ( तिघरा डैम के पास )
नरेश्वर मंदिर समूह 
ककनमठ मंदिर
शनिश्चरा मंदिर 
मितावली 
पढ़ावली 
बटेश्वर ( १२५ से ज्यादा मंदिर एक ही काम्प्लेक्स में हैं, कुछ हद तक जागेश्वर धाम की तरह लगता है )
ये सभी जगह पास में ही स्थिति हैं। 

दंदरौआ धाम - ग्वालियर से 55 किमी दूर ( यहाँ बजरंगबली का बहुत ही फेमस मंदिर जिसे डॉक्टर हनुमान के नाम से भी जानते हैं )
सनकुआ धाम - ग्वालियर से करीब 75 किमी दूर, दंदरौआ धाम से करीब 20 किमी। यहाँ सिंध नदी पर बहुत सारे मंदिर नदी की धार के किनारे पर स्थित हैं। यहाँ ब्रह्मा जी के 4 मानस पुत्रों के मंदिर हैं। ये जगह ओरछा जैसा एहसास करवाती है। 
रावतपुर सरकार आश्रम - ग्वालियर से 100 किमी दूर एक बेहद ही अच्छा आश्रम। 

तानसेन साधना स्थली, बेहट - ग्वालियर से 45 किमी दूर, यहाँ एक आश्रम है जिसमें वो मंदिर हैं जहाँ बैठकर तानसेन साधना करते थे। पास ही मैं एक ओपन स्टेडियम भी है जहाँ संगीत महोत्सव होता है तब दुनिया भर के कलाकार यहाँ आते हैं। 
रतनगढ़ की माता मंदिर - ग्वालियर से 65 किमी दूर। 

दतिया का किला - ग्वालियर झाँसी हाईवे पर दतिया में प्रवेश मार्ग पर ही स्थित है। 
सोनागिरि जैन मंदिर -  ग्वालियर से 70 किमी दूर, सोनागिर जैनियों का प्रशिद्ध तीर्थ स्थल है। 
पीतांबरा माई मंदिर, दतिया - धार्मिक पीताम्बरा पीठ दतिया शहर मे स्थित देश का एक प्रशिद्ध शक्तिपीठ है। 
उनाव बालाजी सूर्य मंदिर - यह दतिया से 17 किमी दूर स्थित है, यह एक बहुत पुराना मंदिर है तथा ऐसा माना जाता है की यह प्री-हिस्टोरिक समय का है ! यहाँ बहुत दूर से श्रध्द्धालु आते है ! ऐसा माना जाता है कि यहाँ स्थित तालाब में नहाने से बीमारियाँ दूर हो जाती है ! इसे बालाजी धाम भी कहते है।
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Thursday, June 8, 2023

छागल कि कहानी किस किस ने पिया इसका पानी

छागल -किस किस ने पिया इसका पानी ??
ये मोटे कैनवास से बना हुआ एक तरफ खुले मुंह वाला बैग है. इसे स्थानीय मारवाड़ी में दिवड़ी या मसक कहते हैं. इसका एक मालवी नाम छागल भी है। इसमें पानी भर के इसे कहीं भी खुली जगह पर छाया में टांग दिया जाता था। अंदर भरे पानी से इसमे नमी बनी रहती और बाहर चलने वाली गर्म लू से इसे ठंडक मिलती है। इस कारण इसके अंदर भरा पानी बहुत ठंडा रहता था। 
           10 -20 साल पहले तक यात्रा के समान में इसका खास महत्व हुआ करता था। इसे ट्रेन की खिड़की में बाहर की तरफ टांग दिया जाता था ताकि हवा से पानी शीतल बना रहे। ट्रक चालक इसे हमेशा अपने साथ रखते थे। सामान्यतः ये दिवड़ी ट्रक के आगे कार्बोरेटर पर टांगी जाती थी जो कार्बोरेटर को ठंडा करने का दोहरा काम भी करती थी।
मेरे पास भी एक है जिसे में कैंपिंग में स्तेमाल करता हुं।
क्या आपने इसके पानी का कभी स्वाद लिया ?।
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Wednesday, April 19, 2023

Rock balancing artist Lokendra jatthapi

Indore-based mountaineer and artist Lokendra Jatthapi has carried out rock balancing near the city while he has gone camping. 

At Kalakund near Indore, the greenery gave him a choice of rocks.  “Selecting the ones you want is important, because the formation won’t look as appealing if the rocks all have the same shape. I visualise first how I want it to look as per the location and then start to balance them.” What would take him an hour when he first started rock balancing, now takes just five to 10 minutes. “The practice is all the fun,” he admits. 


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Sunday, December 25, 2022

Infantry Museum Mhow

नमस्कार दोस्तों आज आपको ले चलता हुं एक विश्व स्तरीय 'इन्फैंट्री रिसर्च सेंटर एंड म्यूजियम' में
इन्फैंट्री संग्रहालय इन्फैंट्री स्कूल के दक्षिणी भाग में  रेलवे स्टेशन से लगभग 2.5 किलोमीटर दूर महू में स्थित है।
इस संग्रहालय ने भारतीय सेना के पिछले इतिहास और गौरव को बहुत अच्छी तरह से प्रस्तुत किया है और उत्कृष्ट तरीके से क्रियान्वित किया है।  अभी भी म्यूजियम अंदर से निर्माणाधीन है जहां इस पर कई अपडेट हो रहे हैं।
इस जगह आपको भारतीय सेना की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के बारे में गहन अंतर्दृष्टि, बहादुरी और बहादुर सैनिकों की कहानी, जिन्होंने उच्चतम परंपराओं में लड़ाई लड़ी और भारत के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
यह जीवित अवधारणा पर आधारित देश का सबसे अच्छा सैन्य संग्रहालय है जिसमें अत्याधुनिक 3डी प्रिंटिंग तकनीक का भी उपयोग किया गया है जो पर्यावरण के अनुकूल है। बाहर  बगीचे के परिसर में 30 से अधिक प्रकार के मौसमी पौधे हैं जो एक शानदार और सुखदायक अनुभव देते हैं।
इसको बनाने का विचार 2003 में तत्कालीन सीओएएस, जनरल एनसी विज द्वारा प्रस्तुत किया गया था और 2003 में 27वें आईसीसी द्वारा पूरे दिल से इसका समर्थन किया गया था। 
इसका उद्घाटन 16 साल बाद 27 नवंबर 2019 को 35वें आईसीसी के दौरान स्व. श्री जनरल बिपिन रावत द्वारा किया गया था।  यह इन्फैंट्री रिसर्च सेंटर और संग्रहालय 1747 के बाद से आधुनिक भारतीय इन्फैंट्री के विकास को प्रदर्शित करता है और विशेष रूप से 15 अगस्त 1947 के बाद भारतीय इन्फैंट्री के बारे में सभी डेटा का भंडार भी है। 
 COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद से यह सुविधा आगंतुकों के लिए बंद थी लेकिन 16 दिसम्बर 2022 से आम जनता के लिए यह खुल चुका है। 
समय सुबह 11 से शाम 5.30 
मंगलवार से रविवार
टिकट: 50 रुपए
आप online टिकट www.infantrymuseummhow.com
धन्यवाद 🙏

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https://youtube.com/@Luckywanderer

 
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Saturday, July 23, 2022

Mhow to Omkareshwar Train - Special train for Shrawan month

09569 Dr Ambedkar Nagar Mhow  (DADN) - Omkareshwar (OM) Passenger 

Daily special train during the month of Shravan. 

Leaves Mhow (DADN) at 0915, reaches Omkareshwar (OM) at 1135.

Train 09570  leaves Omkareshwar (OM) at 1755 and reaches  Mhow (DADN) at 2015 hours.
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Friday, July 22, 2022

Places to visit nearby Indore

इंदौर में प्राकृतिक स्थल,वाटर फॉल ओर ओर पिकनिक स्पॉट की बहुतायत है ओर ये लगभग 40 से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो निम्न है:
1 पातालपानी का झरना
2 कालाकुंड घाटी
3 अम्बाझार
4 जूनापानी
5 रालामंडल
6 देव गुराड़िया
7 जोगीया भड़क
8 काली किराय
9 जानापाव
10 चिड़िया भड़क
11 गिडिया खोह
12 गुलावत
13 तिंछा फॉल
14 मोहाड़ी फॉल
15 मेहंदी कुंड
16 बामनिया कुंड
17 चोरल डैम
18 जाम गेट
19 केवडेश्वर,उज्जैनी
20 ओखलेश्वर
21 सिद्धवरकूट
22 जयंती माता बड़ी
23 काटकूट
24 जयंती माता छोटी
25 च्यवन ऋषि आश्रम
26 कश्यप मुनि आश्रम

इनके भी क्या कहने
1 ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग
2 महेश्वर
3 मण्डलेश्वर
4 मांडव
5 उज्जैन
6 देवास
ये सभी 70 से 100 किलोमीटर की रेंज में है।

 इसके अलावा इंदौर में :
1 राजवाड़ा
2 मल्हारी मार्तण्ड मंदिर
3 हरसिद्धि
4 लाल बाग
5 पुरातत्व संग्रहालय
6 चिड़ियाघर
7 छत्रीबाग साई मन्दिर
8 खजराना गणेश मंदिर
9 कांच मंदिर
10 बिजासन माता टेकरी
11 पित्र पर्वत
12 हींकार गिरी और गोम्मट गिरी आदि प्रमुख स्थल है।

अब इंदौर में खाने के लिए कुछ खास .....
लाल बाल्टी की "कचोरी",
विजय चाट का "पेटिस",
सराफा कॉर्नर के "समौसे",
बड़े सराफे की "स्पेशल चाय",
नागोरी की "शिकंजी",
जेन साब का "भुट्टे का किस",
मथुरा वाले की "मावा बांटी" ,
मेघदूत की "भेल",
लालाजी के "भजिये",
छावनी की "दूध जलेबी",
कोर्ट वाली गली की "छोले-टिकिया" ,
गीता भवन के "रसगुल्ले",
कोठारी मार्केट की "भुट्टे की कचोरी",
मल्हारगंज की "भेल",
जेल रोड की "पंजाबी लस्सी",
नेमाजी की "कुल्फी",
जोशी का "दहीबड़ा",
 सराफा में रामा का "सेंडविच",
शीतल की "गजक",
जानी का "हॉट-डॉग",
 चिमनबाग के "कड़ी फाफडे" ,
 सुरेश के हींग के "आलूबडे" , 
 उ डी पी का "मसाला डोसा" , 
छप्पन मधुरम की "रबड़ी" , 
  मरोठीया के "सिके पेड़े"  ,
   सराफा थाने का जैन "फालूदा" , 
   गैलडा वालो की "जलेबी",
   कर्णावद का "भोजन",
   राजहंस के "दाल बाफले",
   पृथ्वीलोक की "थाली",
   ओर गुरुकृपा का "खाना"....
56 दुकान,सराफा,कोर्ट वाली गली , विजय नगर चौपाटी,कनाड़िया रोड यहां खाना खाना ओर सिर्फ खाना...
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Wednesday, April 27, 2022

भयंकर गर्मी में ग्वालियर कि यात्रा

ग्वालियर कि भयंकर गर्मी में यात्रा......
राजा मानसिंह तोमर युनिवर्सिटी ग्वालियर में दीक्षांत समारोह में सम्मिलित होने का निमंत्रण था।
 तो सोचा चलो परिवार के साथ ही प्लान कर लूं कार्यक्रम भी देख लेंगे और परिवार के साथ ग्वालियर भी घुम लेंगे, ग्वालियर जाने से पहले ही लोकेन्द्र शर्मा अंकल जी जो कि मैरे अच्छे घुमक्कड़ मित्र से बात हो गई थी अंकल जी बड़े जोश के साथ निमंत्रण दिया था और कहा सीधे घर आ जाना लेकिन फिर भी हमने होटल ले लिया था।
सुबह सुबह होटल में चेक इन करके तैयार होकर बढ़े जोश के साथ ग्वालियर का किला घुम्ने निकले किला तो बहुत ही खुबसूरत था लेकिन गर्मी ने हालत खराब कर दी। चिलचिलाती धुप और पसीना कम होने का नाम हि नहीं ले रहे थे। जैसे तैसे दोपहर तक किला घुमा और सीधे होटल आकर बाकी समय ऐसी चलाया और आराम किया शाम तक तो ऐसा लगने लगा कि कहीं हिल स्टेशन पर आ गये है। 
शाम को मौसम ठंडा हुआ तो आसपास मंदिर और बाजार के लिए निकल गये और इसी के साथ एक दिन खत्म हो गया।
दुसरे दिन सुबह से अंकल जी के घर उनसे मिलने चले गए। 
 अंकलजी एवं आंटीजी से मिलकर और उनकी  मेहमान नवाजी से दिल खुश हो गया और ग्वालियर यात्रा यादगार हो गई।
आंटी जी के हाथ का स्वादिष्ट नाश्ता खाकर मज़ा आ गया फिर वहां से फिर रवाना हुए जीवाजी यूनिवर्सिटी के लिए जहां पर दिक्षांत समारोह के लिए हमें जाना था।
और वो पल आ गया जिसकी हमेशा से इच्छा थी कुलपति के हाथो अपनी डिग्री और मेडल लेना जीवन में शायद पहली बार मैंने इतनी पढ़ाई करी थी जिसकी वजह से युनिवर्सिटी में मेरीट लिस्ट मे दुसरे स्थान पर में आया। 
शाम को 7 बजे कार्यक्रम खत्म हुआ और 7.50 पर ट्रेन पकड़ी और इंदौर के लिए रवाना हो गए। तो इस तरह ग्वालियर का यह सफर खत्म हुआ बहुत ही अच्छा और यादगार सफर रहा।
(ग्वालियर में दो चिज़ जो मुझे अच्छी नहीं लगी एक तो वहां कि गर्मी और दुसरा गंदगी , जगह जगह कचरे का ढेर और यातायात व्यवस्था।)
धन्यवाद 🙏
Date : 28 April 2022
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