रविवार होने के बावजूद सब कुछ सुना सुना सा था दुर दुर तक कोई नहीं दिखा ये बेशक लाकडाउन का असर है।
लेकिन कालाकुंड कि रौनक जो कि त्यो है प्रकृति इंसानों कि मोहताज नहीं बल्कि इंसानो कि गैर मोजूदगी मे ज्यादा खुश है।
और इस खुशी का साक्षी मै बना मानो से पेड़ पहाड़ नदियां बोल रहे हो तुम तो आ गये लैकिन...